Saturday, November 29, 2008

हेमंत करकरे की मौत का सत्य

हमारे यहां यह परम्परा रही है की मरने के बाद हम लोगों के गुण याद रखते हैं तथा अवगुणो को भुलने की कोशीश करते है । हेमंत करकरे को मिडिया देश का नायक और शहीद बनाने पर तुली हुइ है । लेकिन यह बात समझनी होगी कि किसी
अफसर के लिए एक निर्दोष साध्वी के उपर झुठा आतंकवादका आरोप लगाकर तङ्ग करना आसान होता है । लेकिन जब असली दहशतगर्द आतंकवादी से सामना होता है तब आपकी बहादुरी की असली परीक्षा होती है ।

एक और बात गौर करने लायक है की हेमंत करकरे की मौत आतंकवादीयों से लडते हुए नही हुइ थी । वह ठीक उसी तरह मरे जीस तरह मुर्म्बई में पौने दो सौ आम शहरी मरे थें । एक कार में घुमते वक्त आतंकीयों ने इन पर हमला किया था
तथा इन की कार कब्जे मे कर उसी मे बैंठ आतंकीयों ने सैकडो लागो को मौत के घाट उतारा था । हेमंत करकरे ने कोई बहादुरी नही दिखाई और बिलकुल आम आदमी की तरह आतंकीयो पर विना किसी जबाबी हमले किए मारे गए। क्या इन्हे बहादुर शहीद कहना उचित है।

मेजर उन्नीकृष्णन तथा हवलदार गजेन्द्र सिंह ने लडते लडते मां भारती की लाज बचाने के लिए मौत को अपने गले लिया था। उनके लिए मेरा दिल का रोआं रोआं कृतज्ञ है।

आतंकवाद के मुद्दे का राजनितीकरण क्यौ नही

आतंकवाद देश के सामने एक बडी चुनौती है । इस मुद्दे के राजनितीकरण से कांग्रेस चिन्तीत है । क्योकी विगत में वोट बैंक तथा तुष्टीकरण की राजनिती की वजह से हीं देश में जेहादी आतंकवाद को बढावा मिला है । आतंकवाद के मुद्दे मे खुद को सुरक्षित करने के लिए ही कांग्रेस ने हिन्दुओ पर झुट्ठे आरोप गढे थें। इस बात को हमें समझना होगा ।

सोनिया विश्व के सबसे बडे आतंकी संगठन वेटीकन की अंग है

जिस प्रकार की घटना मुम्बई मे हुई। जितने बडे पैमाने पर हमला हुआ, जितना सटीक निशाना रहा उसे देख कर नही लगता की कोई भी आतंकी संगठन यह काम कर सकता है। निश्चित ही किसी शक्ति समपन्न देश के संगठीत खुफिया तंत्र के
रेख-देख मे ही यह काम हुआ होना चाहिए। बगैर किसी देश के आर्थिक और रणनितीक मदत के यह काम नही हो सकता है। मै तो कहता हुं की 5 आदमीयो का भी आतंकी समुह बगैर किसी देश के सरकारी आर्थिक मदत के नही बनाया जा सकता है।
मेरा कहने का तात्पर्य यह है की देश के सारे नक्सली, माओवादी एवम जेहादी संगठन किसी न किसी विदेशी ताकत के लिए काम कर रहे है।

कल टीवी पर महेश भट्ट कह रहे थे कि पाकिस्तान पर आरोप नही लगाया जाना चाहिए। अगर पाकिस्तान इन हमलो के पिच्छे नही है तो फिर किस देश की मदत से यह काम हुआ यह महेश भट्ट से पुछा जाना चाहिए। मै तो कहुंगा की महेश भट्ट
का भी नार्को टेष्ट कर के उनके आतंकीयो से सम्बन्ध के बारे मे जांच की जानी चाहिए। क्यो महेश भट्ट जैसे लोग आतंकी घटना के तुरंत बाद आतंकीयो और पाकिस्तान के समर्थन मे बयानबाजी शुरु कर देते है। हो सकता है की महेश
भट्ट ठीक हो, लेकिन उन्हे कहना होगा की अगर पाकिस्तान नही तो फिर कौन सा देश है भारत मे आतंकवाद के पीछे।

इस घटना मे भारत मे आतंकवाद निर्मुलण के लिए काम करने वाले कुछ महत्वपुर्ण व्यक्तियो की हत्या की गई है । जिस आर्टीकुलेटेड (सटीक) तरीके से हत्या की गई है उसे देख कर लगता है की उन लोग को एलीमीनेट (समाप्त)
करना ही इस हमले का उद्देश्य था। सम्भव है की उन जांबाज अधिकारीयो को आतंकवादीयो के बारे मे कोई बेहद महत्वपुर्ण सुचना हाथ लग गई थी। हो सकता है कि हिन्दु आतंकवादीयो के नाम से देश के दुश्मन देश मे हिन्दु-मुसलमानो
के बीच घृणा फैलाने का षडयंत्र कर रहे है यह आभास उन्हे हो चुका हो। अब उनके साथ ही वह महत्वपुर्णॅ राज भी सदा के लिए समाप्त हो गए होगे। देश के दुश्मन अपने योजना मे कामयाब हो गए और मुम्बई की सुरक्षा व्यवस्था धरी की
धरी रह गई।

घटना के बाद कोई छोटे मोटे आतंकवादी संगठन के नाम से कुछ मुसल्मान आतंकी पकडे जाएगे लेकिन मुझे लगता है की वह सब सत्य को छुपाने की एक कवायद भर है। जब हिन्दुओ के नाम से कोई किसी को मारता है तो शर्म से हिन्दुओ की
गरदन झुक जाती है। वैसे ही जब कोई मुसलमान किसी इनसान को मुसलमान के नाम से मारता है तो मुसलमान की भी गरदन झुकती है। तो कौन है इन हमलो के पीछे ?

क्या चर्च से संचालित शक्ति सम्पन्न देशो के खुफिया संगठनो ने इस घटना को अंजाम दिया है ? यह सोचने वाली बात है। इस लाइन पर अनुसंधान होना ही चाहिए। सोनिया गांधी सम्भवतः विश्व के सबसे बडे आतंकी संगठन वेटीकन की
अंग है। क्या भारत, पाकिस्तान सहित दक्षिण एसिया के मुलुक अब तक फिरंगीयो और उनके विभाजनकारी दुष्टताओ को समझ नही पाए हैं। भारत मे संप्रग सरकार स्थापना के बाद नेपाल को भारत अमेरिका और बिलायत की नजर से देखने लगा था और नतिजा हम देख रहे है। पुरे दक्षिण एसिया मे विभाजनकारी ताकतो का बोलबाला हो गया है।

जिन्ना और नेहरु बिलायती एजेंट थे। देश का विभाजन उन दोनो की वजह से हुआ था। गांधी देश का विभाजन नही चाहते थे। आज भी भारत में सोनिया गांधी और कांग्रेस पार्टी विभाजनकारी शक्तियो का हीं प्रतिनिधीत्व करती है। सत्य सरल होते हुए भी हम नही देख पाते क्योकी हमारी समझ पर पर्दा डालने के लिए वे झुठे प्रचार करते है। झुठे प्रचार के लिए उन्होने कैयन तंत्र खडे कर रखे है। मिडीया उनके लिए यह काम कर रही है। जो वह चाहते है वही मिडीया दिखाती है। अतः अगर आप सत्य जानना चाहते है तो मिडीया के इंटेंसंस (नियत) का समझते हुए विश्लेषण करना सिखे।

आतंकीयो का मनोबल उंचा उठाने मे सोनिया और उसके वफादार मनमोहन का बहुत बडा हाथ

अमेरिका मे एक आतंकी हमला हुआ और उसके बाद भले हीं जेहादी अमेरिका को
दुश्मन नं. 1 मानते रहे लेकिन दुसरा हमला करने की हिम्मत नही जुटा सके।
लेकिन भारत मे हरेक महिने कोई नक्सली या जेहादी कोई न कोई दुर्घटना कराने
मे सफल हो जाते है। क्या कारण है इसका। आतंकीयो का मनोबल उंचा उठाने और
देशभक्तो को प्रताडीत करने मे सोनिया और उसके वफादार मनमोहन एवम शिवराज
का बहुत बडा हाथ है। शायद आतंकीयो को लगता है की भारत उनके ससुराल की तरह
है। शिवराज पाटिल और गृह राज्य मंत्री जायसवाल से तो वो अपने सालो की तरह
मोहब्बत करते है। और जब सालो का राज हो तो फिर डर काहे का ?

Monday, November 17, 2008

एटीएस, मिडीया र सत्तारुढ दलहरु निहीत स्वार्थबाट परिचालित छन ?

विगत केही समय देखि भारतमा सरकारी जांच एजेंसीले हिन्दु संगठनबाट आबद्ध व्यक्ति तथा धर्मगुरु माथि आतंकवाद को आरोप लगाएर जांच गरी रहेका र अर्को तर्फ मिडीयाले सम्पुर्ण हिन्दु समाजलाई दोषीको रुपमा चित्रित गर्ने काम गर्दै आएका छन। आतंकवादको कुनै धर्म हुन्दैन र सबै आतंकवाद निंदनिय छन। कस्को विरुद्ध आतंकवादी आक्रमण भएको हो भन्ने कुराबाट मतलब न राखी हामी सबै प्रकारका आतंकवादको विरोध गर्छौ। तर, भारतमा हिन्दुहरु विरुद्ध वर्षेपिच्छे अनेक आतंकवादी धटनाहरु भई रहेको र त्यस्को नियंत्रणको लागि कडा कानुन निर्माण नियंत्रण गर्ने मांग गर्दा झन नरम कानुनको बनाउने काम सरकारबाट भएको कुरा बिर्सन सकिन्दैन । भारतमा जेहादी, नक्सली र माओवादी आतंकवादको शिकार हिन्दुहरु नै बन्दै आएका छन जस्को नियंत्रणको लागि भारत सरकारले ढुलमुल र नरम रवैया अपनाई राखेको अनुभुति पनि हामीले गर्दै आएका छौ। भारतमा आतंकवादबाट सबै भन्दा अधिक पिडीत रहेको हिन्दु समाज माथि नै भारत सरकार र मिडीयाले कपोल कल्पित र मनगढंत आरोप लगाई रहेको छ। अहिले भारतीय जांच एजेंसी र मिडीयाले जुन प्रकारको सक्रियता र कल्पनाशीलता देखाई रहेको छ त्यो आश्चर्यलाग्दो छ। भारतीय जांच एजेंसी को काम गर्ने तरीका, भारतको विदेशी दलाल मिडीयाको व्यवहार र सतारुढ दलका नेताहरुको गैरजिम्मेवारपुर्ण वक्तब्यबाट सतारुढ पार्टीहरुले निहीत राजनैतिक स्वार्थको लागि हिन्दुहरुलाई बदनाम गर्ने नियतले काम कारवाही गरी रहेको संदेह र शंका गर्ने प्रयाप्त आधारहरु छन। न्यायपुर्ण जांचको विरोध गर्न हुन्दैन तर हिन्दु समाजलाई बदनाम गर्ने नियतबाट कुनै काम कारवाही भई रहेको भए त्यसलाई तत्काल रोक्नु पर्दछ। साथै भारतमा नक्सली, माओवादी, जेहादी र अन्य सबै प्रकारको आतंकवादलाई निर्मुल पार्न भारत सरकारले एक समान चासो र तदारुकता देखाउनु पर्दछ।

Sunday, November 16, 2008

एटीएस संदेह के कटघरे में

शुरुवाती जांच मे एटीएस यह दावा कर रही थी की तथाकथित हिन्दु आतंकवादीओ ने बैंक एकाउंट के जरिए पैसे भेजे। लेकिन अब वह कह रही है की पैसे हवाला के जरिए भेजे गए। वास्तव मे हवाला कारोबार को कोई अभिलेख नही होता है, किसी भी हवाला कारोबारी को पकड कर धम्का कर आप उससे कबुल करवा सकते है की यह लेनदेन आपने किया था। एटीएस फोन कल के रिकार्ड और अन्य फर्जी प्रमाण जुटा कर हिन्दुओ के आस्था वाले संगठनो, व्यक्तियो एवम धर्मगुरुओ को बदनाम करना चाहती है।

एटीएस कह रही है की सम्झोता ब्लास्ट के लिए कर्नल पुरोहित ने आरडीएक्स का जुगाड किया था। जबकि उस विष्फोट मे अन्य प्रकार के विष्फोटको का प्रयोग हुआ था यह उस समय की जांच मे प्रमाणित एवम प्रसारित हुआ था। ऐसा लगता है की दुष्ट राजनेताओ के इसारे पर एटीएस निर्दोष लोगो को फंसाने के कृत्य मे घटनाओ को जोडतोड कर फर्जी प्रमाण जुटा रही है।
हिन्दु धर्म गुरुओ को नार्को टेष्ट के लिए नसीले इंजेक्सन लगाए जा रहे है। उनकी नियमित धर्मचर्या मे बाधा पहुंचाई जा रही है। नार्को की दवा का असर एक दिन मे समाप्त हो जाता है। इस लिए चार दिन रोज नार्को की प्रकृया दोहरा कर एटीएस अगर यह कहती है की हमने एक ही बार नार्को टेष्ट किया है तो वह लोगो को बेवकुफ बना रही है।

जब जेहादी, नक्सली, माओवादी विष्फोट कराते है तो जांच एजेंसीयो को न तो फोन रेकर्ड मिलते है, ना विष्फोटक एवम हतियारो के श्रोत और ना हीं कोई विधिवत जांच प्रकृया चलाई जाती है। ना मस्जीदो के अन्दर हो रही तकरीरो की खुफिया कैमरे से खिंची गई तस्वीर दिखाई जाती है। ना लालु यह कहते है की नक्सली और माओवोवादीयो के सम्बन्ध सीपीआई और सीपीएम के नेताओ से है। जनता बेवकुफ नही है, वह महसुस करती है की एटीएस, संप्रग सरकार एवम सीएनएन-एनडीटीवी जैसी गुलाम मिडीया की नियत ठीक नही है।

एटीएस संदेह के कटघरे में

शुरुवाती जांच मे एटीएस यह दावा कर रही थी की तथाकथित हिन्दु आतंकवादीओ ने बैंक एकाउंट के जरिए पैसे भेजे। लेकिन अब वह कह रही है की पैसे हवाला के जरिए भेजे गए। वास्तव मे हवाला कारोबार को कोई अभिलेख नही होता है, किसी भी हवाला कारोबारी को पकड कर धम्का कर आप उससे कबुल करवा सकते है की यह लेनदेन आपने किया था। एटीएस फोन कल के रिकार्ड और अन्य फर्जी प्रमाण जुटा कर हिन्दुओ के आस्था वाले संगठनो, व्यक्तियो एवम धर्मगुरुओ को बदनाम करना चाहती है।

एटीएस कह रही है की सम्झोता ब्लास्ट के लिए कर्नल पुरोहित ने आरडीएक्स का जुगाड किया था। जबकि उस विष्फोट मे अन्य प्रकार के विष्फोटको का प्रयोग हुआ था यह उस समय की जांच मे प्रमाणित एवम प्रसारित हुआ था। ऐसा लगता है की दुष्ट राजनेताओ के इसारे पर एटीएस निर्दोष लोगो को फंसाने के कृत्य मे घटनाओ को जोडतोड कर फर्जी प्रमाण जुटा रही है।
हिन्दु धर्म गुरुओ को नार्को टेष्ट के लिए नसीले इंजेक्सन लगाए जा रहे है। उनकी नियमित धर्मचर्या मे बाधा पहुंचाई जा रही है। नार्को की दवा का असर एक दिन मे समाप्त हो जाता है। इस लिए चार दिन रोज नार्को की प्रकृया दोहरा कर एटीएस अगर यह कहती है की हमने एक ही बार नार्को टेष्ट किया है तो वह लोगो को बेवकुफ बना रही है।

जब जेहादी, नक्सली, माओवादी विष्फोट कराते है तो जांच एजेंसीयो को न तो फोन रेकर्ड मिलते है, ना विष्फोटक एवम हतियारो के श्रोत और ना हीं कोई विधिवत जांच प्रकृया चलाई जाती है। ना मस्जीदो के अन्दर हो रही तकरीरो की खुफिया कैमरे से खिंची गई तस्वीर दिखाई जाती है। ना लालु यह कहते है की नक्सली और माओवोवादीयो के सम्बन्ध सीपीआई और सीपीएम के नेताओ से है। जनता बेवकुफ नही है, वह महसुस करती है की एटीएस, संप्रग सरकार एवम सीएनएन-एनडीटीवी जैसी गुलाम मिडीया की नियत ठीक नही है।

Saturday, November 8, 2008

साध्वी का सच और हिन्दु संगठनो की हकिकत

सोनिया के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार और उसकी गुलाम मिडीया हिन्दु संगठनो पर आतंकवादी का बिल्ला चिपकाना के लिए हर संभव प्रयत्न कर रही है। लेकिन आईए वास्तविकता को समझने का प्रयास करें।

भारत में पिछले दश बर्षो में नक्सलियो ने हजारो बम बिष्फोट किए हैं, माओवादीयों ने हजारों को मौत के घाट उतारा हैं । वैसे ही जेहादियों ने भी उतनी ही तादाद में बिष्फोट तथा हत्याए कि हैं । अगर घटनाओं कि सूची बनाई जाए एक लम्बी सूची तयार हो जाएगी । लेकिन सरकारी जांच एजेन्सी कितनी घटनाओं मे अपराधीयों तक पहुच पायी या कमसे कम विधिवत जांच प्रक्रिया को आगे बढा पाई । यह एक जिज्ञासा का बिषय है।

जिस प्रकार मालेगाव बिष्फोट के मामले में ए.टी.एस. साक्ष्यों को जुटाने का संकेत दे रही है उसे देख कर लगता है की वह र्सवज्ञ है । मिडिया से प्राप्त जानकारी के आधार पर यह सन्देह होता है की एक सोचे समझे षडयन्त्र के तहत हिन्दु कार्यकर्ता एवमं संगठनों को फंसाया जा रहा है । कोई नक्सली बम से थाने को उडा देता है, रेले स्टेशन को उडा देता है तो सरकार की एजेंसीया कोई सबुत नही जुटाती है, कोई कारवाही नही करती है। जेहादी जब तब हिन्दुओ को निशाना बनाते है तो सरकार उन्हे न रोक पाती है । लेकिन साध्वी प्रज्ञा के मामले जांच प्रकृया ऐसे चल रही है जैसे एटीएस विश्व की सबसे कार्यकुशल एजेंसी है। धीरे धीरे एक एक जानकारी मिडीया को ऐसे लीक की जा रही है जैसे कोई जासुसी सिनेमा बनाया जा रहा हो। दिगविजय सिंह, आर.आर.पाटिल और विलासराव देशमुख ऐसे ईशारो मे बात करते वे हमलोग के अशोक कुमार हो।

अनेक प्रश्न ऐसे है जिनके उतर भविष्य के गर्भ में छुपे है। कोई भी योजनाकार अपनी मोटरसाईकिल का प्रयोग धमाके मे नही करेगा। जिस प्रकार की फोन ट्रांस्क्रीप्ट दी गई है वह सुनियोजित षडयंत्र (स्टींग अपरेशन) की तरह लगती है। ऐसा लगता है की किसी आस्थावान हिन्दु के निर्दोष वार्तालाप का प्रयोग उसे फंसाने के लिए किया जा रहा है। मुझे यह संदेह है की किसी विधर्मी विदेशी एजेंसी ने कुछ आस्थावान हिन्दुओ के बीच घुस कर बम विस्फोट किया और फिर उनके खिलाफ साक्ष्य जुटा कर शांतीप्रिय हिन्दु समाज को आतंकवादी सिद्ध करने की कवायद शुरु कर दी।

सिर्फ आतंकवाद ही हिन्दु मुक्ति का मार्ग नही है। और मै तो मुसल्मान भाईयो को अपना दुश्मन भी नही मानता। किंतु हम सब को अपने अपने ढंग से राष्ट्र रक्षा अभियान मे जुटना होगा। मै न तो संघ, ना भाजपा और ना ही विहीप का कार्यकर्ता हुं। हिन्दुओ को आत्मबल बनाए रखना होगा। मनोबल मे कोई ह्रास न आने पाए। ईतिहास के एक महत्वपुर्ण दोराहे पर हम खडे है। हमारा आज का निर्णय हमारे भविष्य के अस्तित्व से जुडा हुआ है। आज चुप रहने और हाथ पर हाथ धरे बैठने का अर्थ है मौत। उठो जागो ..........

कुछ दिनो से ब्लग के माध्यम से मै आप सब के बीच था। मै हिन्दी की औचारिक शिक्षा प्राप्त नही कर पाया था। लेकिन चिट्ठे पढते लिखते आप सभी की कृपा से कुछ आत्म विश्वास हासिल कर पाया इसके लिए मै सभी का आभारी हुं। लेकिन मेरी आत्मिक संवेदनशीलता और अपने पेशे की जरुरतो के कारण मेरे इस अंतिम चिट्ठे के साथ मै आपके बीच से बिदा होता हुं। कभी कही भुल चुक हुई हो या किसी का दिल दुखाया हो तो माफ करेगे। हरि ओम तत सत !!!

Wednesday, November 5, 2008

ओबामा को बधाई

अमेरीकी लोक तंत्र का आधार मिडीया है। जिसने अच्छा मिडीया मेनेजमेंट किया
वह जीत गया। जिसके मिडीया कंसल्टेंट और ईभेंट मैनेजर ने उत्कृष्ट काम
किया उसे चुन लेगी अमेरिकी जनता अपने राष्ट्रपति के रुप में।

हमारे देश मे मुश्किल से 5 प्रतिशत जनता टीभी, अखबार या एफ.एम के जरिए
अपना विचार निर्माण करती है। इसलिए इस दृष्टी से हमारे यहा एक मजबुत
लोकतंत्र है। लेकिन विदेशी शक्ति सम्पन्न राष्ट्र अब हमारे यहां भी मिडीया
मे छदम निवेश बढा रहे है। तो हम यह मान सकते है की भविष्य मे हमारे यहां
भी वही जितेगा जिसकी मिडीया मे अच्छी पकड हो। जनता जाए भाड में।

जो भी हो, अमेरीकी जनता ने ओबामा को अपना मुखिया चुन लिया है। ओबामा अब
अमेरिका ही नही बल्कि सारे विश्व के सर्वाधिक शक्तिशाली व्यक्ति बन गए है।
अमेरीकी लोग खुद को जितना भी उदार एवम आधुनिक दिखाने का प्रयास कर लेकिन
वास्तव मे वह बेहद दकियानुसी एवम फंडामेंटलिष्ट (कट्टर) होते है। अपने
ईतिहास मे अमेरीकी जनता ने आज तक किसी महिला या अश्वेत या गैर ईसाई को
अपना राष्ट्रपति नही चुना था। यह पहली बार है की कोई अश्वेत अमेरिका का
राष्ट्रपति चुना गया है। ओबामा को भी पुर्ण अश्वेत नही कहा जा सकता क्योकी उनकी
माता श्वेत अमेरीकी थी। ओबामा का लालन पालन उनकी नानी ने किया था जिनकी
विचारधारा का ओबामा पर गहरा प्रभाव है। चुनाव से चंद रोज पहले ही उनकी नानी
का देहांत हो गया था।

ओबामा के राष्ट्रपति बनने से दक्षिण एसिया के प्रति अमेरिकी नितीयो मे कोई बुनियादी
फरक आएगा या नही यह देखने वाली बात है। वैसे डेमोक्रेटीक पार्टी जिससे ओबामा
निर्वाचित हुए है, उसे भारत के प्रति सहानुभुति रखने वाला माना जाता है। लेकिन
नेता जिस पार्टी का भी हो दक्षिण एसिया मे द्वन्द बढाने मे अमेरिका की विशेष रुचि
रहती है। दक्षिण एसिया के राष्ट्रो को चाहिए की वह किसी के बहकावे मे न आ कर
अपनी समस्यायो का समाधान करे तथा आपसी भाईचारा और विश्वास बढाते हुए दक्षिण
एसिया मे शांति बनाए रखने का प्रयास करे। इसी मे सबका कल्याण है सबकी समृद्धी है।

आइए जाने हमारे नए अमेरीकी राष्ट्रपति ओबामा के बारे में :

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल करने वाले
डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार बराक ओबामा के जीवन और उनके राजनीतिक
करियर के अहम पड़ाव-

जन्म - 4 अगस्त 1961, होनोलूलू, हवायी।पारिवारिक पृष्ठभूमि- कीनियाई मूल
के पिता बराक हुसैन ओबामा, अमेरिकी मूल की मां ऐन दुनहाम। 18 अक्टूबर
1992 को मिशेल रॉबिनसन से विवाह। दो बेटियां मालिया और साशा ।

धर्म- ईसाई, यूनाइटेड चर्च ऑफ क्राइस्ट।

शिक्षा-- कोलंबिया विश्वविद्यालय से स्नातक। हावार्ड लॉ स्कूल से आगे की
पढ़ाई। फरवरी 1990 में लॉ रिव्यू में पहले अश्वेत अध्यक्ष निर्वाचित।

राजनीतिक करियर- शिगागो में वर्ष 1991 में नागरिक अधिकारों के वकील के
रूप में सामाजिक कार्य। वर्ष 1992 में राष्ट्रपति चुनाव में बिल क्लिंटन
के लिए मतदाता पंजीकरण अभियान का कार्य। इलोनॉयस से सीनेट के लिए 1996,
1998 और 2002 में निर्वाचित।

जुलाई 2004 में डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन में दिए भाषण से देश भर में
मिली पहचान।अमेरिकी सीनेट के लिए 2 नवंबर 2004 को निर्वाचित। देश के
पांचवें अफ्रीकन-अमेरिकन सीनेटर। 10 फरवरी 2007 को अमेरिकी राष्ट्रपति पद
की उम्मीदवारी का ऐलान।

आधिकारिक रूप से 3 जून 2008 को डेमोक्रेटिक पार्टी से नामंकन। 28 अगस्त
2008 को पार्टी की उम्मीदवारी स्वीकार की।'टाइम' पत्रिका द्वारा वर्ष
2005 में विश्व के 100 प्रभावशाली लोगों में शामिल बराक ओबामा ने 4 नवंबर
2008 को राष्ट्रपति चुनाव में जीत दर्ज की।

Tuesday, November 4, 2008

छठ के अवसर पर हार्दिक मंगलमय शुभकामना



आदिदेव नमस्तुभयँ प्रसीद मम भास्कर ।
दिवाकर नमस्तुभ्यँ प्रभाकर नमोस्तुते ॥

पुजी ले चरण तोहार ऐ छठी मइया , दुखवा से करदअ उबार ऐ छठी मइया...
सुर्य उपासना के महान पर्व छठ के अवसर पर हार्दिक मंगलमय शुभकामना

छठ पर्व का एक भक्तीमय लोकगीत :
नरियवा जे फरेला घवद से
ओ पर सुगा मेड़राय
सुगवा के मरबो धनुष से
सुगा गिरे मुरझाय
रोवें सुगा के सुगनिया
सुगा काहे मारल जाए
रखियों हम छठ के बरतिया
आदित होइहें सहाय
दीनानाथ होइहें सहाय
सूरूज बाबा होइहें सहाय

Saturday, November 1, 2008

कौन कहता है की राज ठाकरे दोषी है ?

महाराष्ट्र के डा. हेडगेवार देश की एकात्मकता के लिए काम करने वाले युगपुरुष थे। लेकिन उनके बारे मे शायद हीं कोई भी टीभी चैनल वाला सकरात्मक चीजे दिखाता है। आज दो हजार लोग सडक पर उतर कर भारतीयता के पक्ष और क्षेत्रवाद के विरोध मे नारे लगाए तो शायद हीं कोई भी टीभी चैनल वाला अपने प्राइम टाईम मे उसको प्रदर्शीत करेगा। लेकिन अगर कोई राज ठाकरे क्षेत्रवाद को बढावा देने वाली कोई भडकाउ बात करेगा तो टीभी चैनल वाले बार बार उसे दिखाएगे। फिर कोई नितीश, लालु या पासवान कुछ भडकाउ प्रतिकृया देगे तो फिर उसे भी उसी प्रकार बार बार दिखाया जाएगा।

आज देश की मिडीया मे विदेशी शक्तियो का बहुत बडा निवेश है। यह निवेश प्रत्यक्ष आर्थिक लाभ से भी ज्यादा साम्राज्यवादी शक्तियो के हित पोषण के लिए किया गया है। विश्व मे भारत ही एक ऐसा विशाल भुखण्ड है जिसमे राष्ट्र बनने की सभी गुण विद्यमान हैं। विश्व शक्तियो के सामने भारत बडी चुनौती है। इस कारण शक्ति सम्पन्न राष्ट्र भारत मे क्षेत्रियता और भाषावाद को बढावा देना चाहते है। वह यह भी चाहते है की यहा हिन्दु और मुसल्मान आपस मे लडे। यही कारण है की मिडीया छद्म रुप से क्षेत्रियता और भाषावाद को बढावा देने वाली घटनाओ को ज्यादा से ज्यादा दिखाती है।

राज ठाकरे को महत्व न देना ही उसकी प्रवृती को नष्ट करने का सबसे बढिया तरिका है। अतः राज ठाकरे और उसकी बातो पर प्रतिकृया देने वालो की कम से कम चर्चा की जानी चाहिए।

एक बात और, बिहार मे कानुन व्यवस्था तथा विकास के काम बिल्कुल ठप्प हो गए है। मतदान और राजनिती का आधार विकास न हो कर जातिवाद रह गया है। रोजगारी का सृजन ठप्प पड चुका है। लोगो ने शासन के लिए गलत लोगो का चुनाव किया था तो यह सब भुगतना हीं था। आज बिहारी जनता को रोजगार के लिए महाराष्ट्र-पंजाब और असम जाना पड रहा है तो इसके लिए सबसे बडा दोषी कौन है। मै इस स्थिती के लिए राज ठाकरे को कतई दोषी नही मानता। इस स्थिती के लिए बिहार की जनता और यहा के नेता ही सबसे बडे दोषी है। क्षेत्रिय विकास असंतुलन की वजह से इतनी बडी जंनसंख्या का दुसरे राज्य मे बस जाना की वहां के लोग खुद को अल्पसंख्यक महसुस करने लगे, इस बात की कोई राज ठाकरे चिता करता है तो राष्ट्रियता के नाम पर उसकी बात को खारीज नही किया जाना चाहिए। इस बात पर बहस होनी चाहिए की बिहार विकास के दौड मे क्यो पीछे छुट गया है और इसका दोष दुसरे के सिर मढने से काम नही चलेगा। बिहार की जनता और बिहार के नेताओ को संकल्प लेना चाहिए की वे दुसरे राज्यो मे बोझ नही बनेगे बल्कि खुद बिहार को विकास के मार्ग पर आगे बढाएंगे।