Saturday, June 2, 2012

स्वर्ण रखना महापाप


श्री प्राप्ति के लिए शास्त्र एवं परम्पराओं के अनुकुल आचरण करना आवश्यक है। आर्यावर्त (जम्बुद्धीप) या कहे आज का दक्षिण एसिया इसलिए कंगाल है क्यो कि हम शास्त्रों के निर्देशो का पालन नही कर रहे है। हमारे यहाँ अमीर भी कंगाल जैसा हीं है। अगर हम सामुहिक रुप से शास्त्रो के निर्देशों के अनुकुल आचरण करें तो कोई कारण नही की हमारा देश समृद्ध एवं सुखी नही बन सकता। शास्त्रों में यह बात बहुत स्पष्ट रुप से कही गई है कि स्वर्ण मे कलि का वास होता है। कलि दुषित है एवं सत्य के विपरीत भी है। अतः अपने पास स्वर्ण रखना शास्त्र के प्रतिकुल है।


हिरण्यकश्यप का अर्थ सोने का राक्षस होता है। अगर कोई व्यक्ति अपने पास एक रती भी सोना रखता है तो उसे गो-हत्या के आघे का पाप चढता है। अगर आप व्यक्तिगत एवं राष्ट्रिय समृद्धि चाहते है तो अविलम्ब अपने पास रखे स्वर्ण एवं उससे बने आभुषण आदि बेच डाले। बेच कर प्राप्त होने बाले धन का निवेश रोजगार, उद्योग, शेयर अथवा स्वदेशी बैंक में करें। यही मुक्ति का मार्ग है यही स्वराज्य का रास्ता भी .

1 comment:

  1. @अगर आप व्यक्तिगत एवं राष्ट्रिय समृद्धि चाहते है तो अविलम्ब अपने पास रखे स्वर्ण एवं उससे बने आभुषण आदि बेच डाले।

    - सब बेचने लगेंगे तो खरीदेगा कौन?

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