Monday, December 1, 2008

दक्षिण एसिया मे आतंकवाद का समाधान नही चाहते है शक्ति सम्पन्न राष्ट्र

मुम्बई हादसे ने सहसा स्तब्ध सा कर दिया -संवेदनाओं को झिझोड़ कर रख दिया -कुछ ना कर पाने के हताशाजन आक्रोश -पीडा ने गुमसुम और मौन सा कर दिया ! कुछ ऐसी ही स्थितियां कभी कभी मनुष्य में आत्मघाती प्रवृत्तियों को
उकसाती हैं -एक तरह के सेल्फ अग्रेसन के भाव को भी ! एक राष्ट्र के रूप में दक्षिण एसिया के राष्ट्र कितने नकारा हो गए हैं - चन्द आतंकवादी सारे सुरक्षा स्तरों को सहज ही पार कर हमारी प्रभुसत्ता पर सहसा टूट पड़ते है और हम जग हसाई के पात्र बन जाते हैं ! नेपाल मे भी देखे तो शक्ति सम्पन्न राष्ट्रो की मदत से देशद्रोही माओवादीयो ने राष्ट्र की सत्ता पर ही कब्जा
जमा लिया है।

क्या इतिहास ख़ुद को दुहरा रहा है ? क्या हम अपने अतीत से सबक नही ले पाये और आज तक काहिलियत ,अकर्मण्यता और बेपरवाह से बने हैं -एक समय था जब हमारी हिन्दु भुमियो को जब भी जिस विदेशी आक्रान्ता ने चाहा चन्द अरबी
घोडों पे सवार हो अपने छोटे से दल के साथ यहाँ पहुचा और हमारे स्वाभिमान को रौंद, लूट खसोट कर वापस लौट गया ! मुम्बई की घटना में कया कही कुछ अन्तर नजर आता है -हम आज भी वैसे ही असहाय नजर आए और सारी दुनिया हमारी
बेबसी को देखती रही ।

हिन्दुत्व कभी भी एक संगठीत धर्म नही रहा है। यह एक जीवन पद्धति और बहुलवादी विचारधारा रही है। इस्लाम की तरह कोई सर्वसतावादी विचारधारा का मार्ग हमने नही अपनाया। हम विचारो की विविधता, जातियो की विविधता और पुजा पद्धतियो की विविधता को हर्ष पुर्वक स्वीकार करते है। लेकिन इसलाम ने धर्म का प्रयोग साम्राज्यवादी औजार के रुप मे किया। हमारी भुमि का हमारा अपना भाई जिसने विगत मे किसी परिस्थीती के कारण या दवाबवश इस्लाम अपनाया उस की राष्ट्रीय आस्था भी बदल गई। वह अपनी इस पुर्वजो की भुमि से ज्यादा मोहब्बत अपने पैगम्बर की भुमि से करने लगा। वह हकिकत को भुल कर उस छलावे को सही मान बैठा। जब तक भारत और पाकिस्तान के मुसल्मान यह नही सम्झेगें की यह उनकी पुर्वजो की भुमि है और हम उनके अपने भाई है तब तक आतंकवाद की समस्या का समाधान नही है। या फिर हमे हिन्दुत्व को भी संगठीत धर्म बनाना होगा, लेकिन तब वह इस विश्व की एक बहुत हीं सुन्दर जीवन पद्धति का अंत होगा। दुर्घटना होगी।

हिन्दु-मुस्लमान मे मित्रता के लिए हमने क्या नही किया। मुसल्मानो ने अपने लिए अलग देश ले लिया फिर भी हम उन्हे अपनी भुमि पर रहने देते रहे की उनका हृदय परिवर्तन होगा। आज भी मुझे विश्वास है की वह हमे जरुर अपनाएंगें। दक्षिण एसिया मे स्थायी शांती के लिए क्या किया जा सकता है यह सोचना ही होगा।

(कुछ अंश अन्य ब्लग से साभार)

4 comments:

Poonam :) said...

Aapki niche di gayi comment padhi.. Aap ne usme poocha ke "कोई सदगुरु है आज के विश्व मे जो अस्तित्व को पुर्णता मे जानता हो?" to mein aapko Sahaja Yoga ke bare me batana chahungi.. Shri Mataji Nirmala Devi inhone Sahaja Yoga ki sthapna ki. Kundalini jagaran kara ke 'Aatm-Sakshatkar' milta hain Sahaja Yoga me. Aap ko adhik jakaari chahiye ho toh krupaya yeh website dekhe - www.sahajayoga.org

mera email address - poonamt2001@gmail.com

:)

"मानव की बुद्धि सिर्फ उस विषय के विषय मे सोच सकती है जो उसकी इन्द्रिया अनुभुत कर सकती है। अस्तित्व व्यापक है और इन्द्रिय सिमीत। इन्द्रिया तो अपना वह विषय भी नही अनुभव कर सकती है जिसमे भेदा-भेद न हो, जो सतत हो, जो निरंतर हो। अब सवाल यह है की उस शिव तत्व को कैसे अनुभव करें ??? कोई सदगुरु है आज के विश्व मे जो अस्तित्व को पुर्णता मे जानता हो? अगर आपकी जानकारी में कोई हो तो मुझे अवश्य अवगत कराएगें।"

योगेन्द्र मौदगिल said...

सामयिक व सटीक चिंतन के लिये बधाई स्वीकारें

shivoham005 said...

hello,

what is the true aim of human life?

it is just to work, eat, drink, sleep, and again the same thing continues till death

is there anything beyond that which differs us from animals (no kidding please)

to find out what it is, read the following blog completely

http://saakshaatkar.blogspot.com

thank you

somadri said...

अच्छा लिखा बधाई स्वीकारें