Thursday, August 21, 2008

स्वदेशी की परिभाषा माओवादी की नजर में

चंद रोज पहले नेपाल के पहले उपराष्ट्रपति महामहिम परमानन्द झा ने जब धोती कुर्ता पहन कर सपथ ग्रहण किया तो माओवादीयो ने सारे देश में बहुत बबाल खडा किया कि उपराष्ट्रपति ने विदेशी भेषभुसा मे क्यो सपथ लिया ।

लेकिन जब माओवादी नेता पुष्प कमल दाहाल (प्रचण्ड) प्रधानमन्त्री पद की सपथ लेने के लिए सुट कोट र्टाई मे सजधज कर पहुचे तो लोग देखते ही रह गए । हैरानी होती है इनके सोच के दिवालिएपन पर जो धोती कुर्ताको विदेशी कह कर तिरस्कार करते है, लेकिन कोट-र्टाई-सुट को अपनाते है ।

नेपाल की यह परम्परा रही है की जब भी कोई प्रधानमन्त्री बनता है तो अपनी पहली विदेश यात्रा बडे भाई भारत की करता है । लेकिन प्रचण्ड ने अपनी पहली विदेश यात्रा में चीन जाने का निर्णय लिया है । नेपाल में माओवादीओं को सत्ता के उत्कर्ष पर पहुचाने में भारत की सप्रग एंव वामपंथी सरकार का बहुत बडा योगदान है । अब भुगतें । जो बोएगे वही तो काटेगें ।

3 comments:

संजय बेंगाणी said...

नेपाल में माओवादीओ की जीत भारत की बहुत बड़ी हार है.

दोगलापन तो माओवाद के डी एन ए में है.

Anonymous said...

आपने ठीक हीं कहा । जन्युद्ध के दौरान नेपाल के सारे माओवादी, भारत के अपने वामपंथी मित्रो के यहां रह कर नेपाल मे विद्रोह कर रहे थे । जब माओवादीयो को नेपाल नरेश ज्ञानेन्द्र ने नाको चने चबवा दिया था तो भारत ने नेपाल को हतियार देना बन्द कर दिया । ईतना ही नही दिल्ली बुला कर माओवादीयो और डेमोक्रेट्स के बीच 12 प्वाईंट सम्झौता भी करवाया । भारत के दवाब मे हीं संविधान सभा निर्वाचन सम्पन्न हुए जिसमे माओवादीयो ने जम कर धांधली की और अपनी अर्ध-सैनिक गुंडा टोली वाई=सी=एल के बल पर बहुमत से कुछ कम सीटे हासिल करने मे सफल रहे ।

Anonymous said...

देखिए नेपाल का माओवादी आन्दोलन रहस्यो से भरा है । यह आन्दोलन स्वस्फुर्त नही है, कोई साम्रज्यवादी शक्ति इंके पीछे जरुर है ।