राजा महेन्द्र के बाद से नेपाल मे भारत विरोधी खेमा दरबार के आवरण मे लिपटा रहता आया है । आज भी भारत के विरोध मे अगर कोई सबसे ज्यादा विष वमण करता है, वह या तो दरबार के निकट का व्यक्ति होता है या फिर माओवादी । लेकिन मुझे आश्चर्य होता है की ये राजावादी क्यो ईतना आउट अफ वे जा कर भारत का विरोध करने मे लगे रहते है । शायद ये ख़ुद को राष्ट्रवादी या राष्ट्रभक्त सिद्ध करने के लिए एसा करते है । या फिर भारत विरोधियो ने राजा को घेर रखा है ।
भारत मे राजीव गान्धी के शासन काल मे भारत और नेपाल के राजा के रिश्तो मे भारी खटास आई थी । उसी प्रकार सोनिया गान्धी के नेतृत्व वाली सरकार भारत मे सत्तासीन होने के बाद भारत ने अपनी "दो-खम्बा" निती को फिर से त्याग दिया है । क्या हिन्दु सम्राट होना ही नेपाल के राजा का दोष है ?
नेपाल मे आज जो हो रहा है उसे समझने के लिए विदेशी ताकतो – भारत, चीन, पाकिस्तान, अमेरिका, स्केंडेवीयन देशो के नेपाल मे रहे स्वार्थो को समझना होगा । उसी प्रकार माओवादी, दरबार (राजा और सेना), प्रजातांत्रिक दलो, वामपंथी (समाजवादी) दलो और मधेसी शक्तियो की निती और निष्ठाओ को भी समझना होगा । लेकिन लोग इतने मुखौटे लगाए हुए हैं की असल बात समझ मे नही आती । लेकिन हम अगर मुखौटो के अन्दर झांक सके तो चीजे बिल्कुल स्पष्ट समझ मे आ जाएगी । लेकिन हम इतने पुर्वाग्रहो से भरे है की असल चीजो को समझने की जगह हम अपने पुर्वाग्रहो से चीजो को देखना शुरु कर देते है । और फिर समझ पाना कठीन हो जाता है ।
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