ओलम्पिक में पदक तालिका में सबसे उपर रहा चीन । वहीं लगभग उतनी हीं आवादी वाला भारत बडी कठिनाई से अपनी उपस्थिती मात्र दर्ज करा पाया । क्या यह चीन के महाशक्ति बनने और भारत के फिसड्डी बन जाने का संकेत है ।
जब जर्मनी एकीकरण नही हुआ था तो वामपंथी राह पर चलने वाला पश्चिमी जर्मनी पदक तालिका में उपर रहता था । रुस भी कट्टर वामपंथी शासन व्यवस्था में अच्छे पदक प्राप्त करता था । क्या यह सिद्द करता है की तानाशाही में अच्छे खिलाडी बनते है ?
खेल से अलग चीनीया माल की बात करे तो वह तो घटिया का पर्यायवाची बनता जा रहा है । अगर सामान चाइनिज है तो क्वालिटी घटीया हीं होगी ।
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