शुरुवाती जांच मे एटीएस यह दावा कर रही थी की तथाकथित हिन्दु आतंकवादीओ ने बैंक एकाउंट के जरिए पैसे भेजे। लेकिन अब वह कह रही है की पैसे हवाला के जरिए भेजे गए। वास्तव मे हवाला कारोबार को कोई अभिलेख नही होता है, किसी भी हवाला कारोबारी को पकड कर धम्का कर आप उससे कबुल करवा सकते है की यह लेनदेन आपने किया था। एटीएस फोन कल के रिकार्ड और अन्य फर्जी प्रमाण जुटा कर हिन्दुओ के आस्था वाले संगठनो, व्यक्तियो एवम धर्मगुरुओ को बदनाम करना चाहती है।
एटीएस कह रही है की सम्झोता ब्लास्ट के लिए कर्नल पुरोहित ने आरडीएक्स का जुगाड किया था। जबकि उस विष्फोट मे अन्य प्रकार के विष्फोटको का प्रयोग हुआ था यह उस समय की जांच मे प्रमाणित एवम प्रसारित हुआ था। ऐसा लगता है की दुष्ट राजनेताओ के इसारे पर एटीएस निर्दोष लोगो को फंसाने के कृत्य मे घटनाओ को जोडतोड कर फर्जी प्रमाण जुटा रही है।
हिन्दु धर्म गुरुओ को नार्को टेष्ट के लिए नसीले इंजेक्सन लगाए जा रहे है। उनकी नियमित धर्मचर्या मे बाधा पहुंचाई जा रही है। नार्को की दवा का असर एक दिन मे समाप्त हो जाता है। इस लिए चार दिन रोज नार्को की प्रकृया दोहरा कर एटीएस अगर यह कहती है की हमने एक ही बार नार्को टेष्ट किया है तो वह लोगो को बेवकुफ बना रही है।
जब जेहादी, नक्सली, माओवादी विष्फोट कराते है तो जांच एजेंसीयो को न तो फोन रेकर्ड मिलते है, ना विष्फोटक एवम हतियारो के श्रोत और ना हीं कोई विधिवत जांच प्रकृया चलाई जाती है। ना मस्जीदो के अन्दर हो रही तकरीरो की खुफिया कैमरे से खिंची गई तस्वीर दिखाई जाती है। ना लालु यह कहते है की नक्सली और माओवोवादीयो के सम्बन्ध सीपीआई और सीपीएम के नेताओ से है। जनता बेवकुफ नही है, वह महसुस करती है की एटीएस, संप्रग सरकार एवम सीएनएन-एनडीटीवी जैसी गुलाम मिडीया की नियत ठीक नही है।
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