Friday, September 5, 2008

विकास के लिए दक्षिण एसिया मे शांति आवश्यक

कुछेक साम्राज्यवादी शक्तियां हैं जो दक्षिण एसिया मे अशांति एवम कलह का वातावरण बना कर रखना चाहती है । लेकिन जब तक भारत, नेपाल, श्रीलंका, बंगलादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बर्मा, भुटान आदि देश आर्थिक रुप से एक संघ मे परिवर्तित नही होते तब तक किसी के लिए आर्थिक रुप से उन्नति कर पाना सम्भव नही दिखता ।

दक्षिण एसिया मे कलह और द्वन्द पैदा करने के लिए सतत रुप से साम्रज्यवादी शक्तियो के दलाल क्रियाशील रहते है । दक्षिण एसिया एक राष्ट्र के रुप मे फिर से एकिकरण हो सके इस बात की सम्भावना नही दिखती है । लेकिन युरोपियन युनियन के तर्ज पर आर्थिक संघ की परिकल्पना साकार की जा सकती है जो इस क्षेत्र को गरिबी और अभाव से मुक्ति दिला सकता है । सदस्य देशो मे मुक्त व्यापार की अवधारणा के साथ साफ्टा के नाम से एक कोशिश चल रही है । लेकिन इस कोशिश मे सदस्य देश ईमान्दार नही दिख पडते है ।

दक्षिण एसिया मे शांति के लिए हिन्दुओ और मुसलमानो के बीच भी एकता अपरिहार्य है । हिन्दुओ और मुस्लिमो के बीच खाईयो को पाटने का काम बेहद कठिन है । क्योकी अगर मुसलमान और हिन्दु न लडे तो फिर भारत मे कांग्रेस पार्टी की राजनिती हीं साफ हो जानी है ।

2 comments:

अनिल रघुराज said...

बहुत कठिन राजनीतिक काम है, लेकिन ज़रूरी है। आपकी राय से एकदम सहमत।
सार्क और साफ्टा के विकास से यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। साथ ही भारत-पाक महासंघ बना लिया जाए तो विभाजन के दंश से हिंदुओ और मुसलमानों में जो कटुता पैदा हुई है, वह भी खत्म हो सकती है।

Arvind Mishra said...

sahee aaklan !