काठमाडौं में प्राचिनकाल से दशहरा के पहले इन्द्र भगवान की यात्रा निकाल्ने की परम्परा चली आ रही थी । इस अवसर पर नेपाल के राजा - कुमारी, भैरव और गणेश भगवान के मन्दिर में टिका ग्रहण करते थे । यह परम्परा जनता में आरोग्य सदभाव और समृद्धी प्रदान करने वाली मानी जाती है ।
माओवादीयो के सत्ता में आने के बाद वैज्ञानिकता और मितव्ययिता के नाम पर इन कार्यक्रमों के लिए बजेट आवटन रोक दिया गया । जिसके कारण पुरे काठमाडौं शहर में तनाव फैल गया है । लेकिन अन्ततः माओवादी अर्थमंत्री बाबुराम भट्टर्राई को झुकना पडा और पुर्ववत तरीके से इन परम्पराओं की निर्वहन की स्वीकृति देनी पडी ।
लेकिन विरोध और तनाव के कारण रथ निर्माण के लिए तय किया गया शुक्रबार साय ७:२५ बजे का मुहर्त गुजर गया । राष्ट्राध्यक्ष भी टिका ग्रहण के लिए नही आ पाए । पुलिस ने श्रद्धालुओ पर जम कर लाठी चार्ज किया तथा अश्रु गैस दागे । धर्म जागरण मंच (नेपाल) तथा विश्व हिन्दु महासंघ ने माओवादीयों के व्यवहार के प्रति विरोध और खेद प्रकट किया है ।
धर्म-संस्कृति से जुडी हुई परम्पराओं की भी एक वैज्ञानीकता होती है । लेकिन मार्क्स-माओ की नजर से ही दुनिया को देखने वाले ये र्सवसत्तावादी इन बातो को कैसे समझ सकते है?
3 comments:
ये तो शुरुआत है, आगे-आगे देखिये होता है क्या… हिन्दुओं का "प्रचण्ड" विनाश होगा…
हिन्दु हीं वह शक्ति है जो इन "प्रचण्डो" का विनाश करने मे सक्षम है। लेकिन आज जो संगठन हिन्दुत्व का झण्डा उठा कर चल रहे है, उनमे युवा नेतृत्व की आवश्यकता है।
जब नेपाल के नागरिकों ने माओवादियों को चुना तब उन्हें अपने धर्म के ऊपर आक्रमणों को सहन करने के लिए भी तैयार रहना चाहिए था. अब उनके देश में कमुनिस्तों की सरकार है. अब तो यह सब होगा ही.
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