Tuesday, September 2, 2008

कैलास पर्वत पर शिव की जटा मे समायी है गंगा




Artist : Atul Sharma


हिमालय संस्कृत के हिम तथा आलय से मिल कर बना है जिसका शब्दार्थ बर्फ का घर होता है। हिमालय भारतीय योगियों तथा ऋषियों की तपोभूमि रहा है । हिमालय मे कैलास पर्वत पर भगवान शिव का वास है । भगवान शिव अपनी जटा में गंगा को धारण किए हुए हैं । सदियों पहले से पुराणो मे वर्णित ये प्रतिक आज के विज्ञान के तथ्यो से कितना साम्य रखते हैं ।

हिमालय पर हिमनद अपने मे अथाह पानी को धारण किए हुए हैं । किसी हिमनद के फुटने से वह अथाह जलराशी प्रलयंकारी रुप से बह निकलेगी । इतना ही नही, अगर हिमालय की आधी बर्फ भी पिघल जाए तो समुन्द्र की सतह कई हजार फिट उपर हो जाएगी और बंगलादेश जैसे निचले भुखंड जलमग्न हो जाएंगे ।

हमारे वेद पुराणो मे वर्णित तथ्य हमे वातावरण और पर्यावरण की जांनकारी हीं नही देते, अपितु उनके महत्व को भी बताते हैं । जरुरत है उन प्रतिको को समझने की । अगर हम श्रद्धा रखेंगे तो यह प्रतिक खुद-ब-खुद अपने अर्थ प्रकाशित कर देंगे । कोशी का कहर वास्तव मे शिव का कोप है । हम अपने पर्यावरण के साथ खिलवाड करेगे तो ऐसे कोप सहने ही पडेगे ।

शिवलिंग पर हम जल चढाते है । शिवलिंग को शीतल रखने का प्रयास करते है । क्या यह प्रतिक रुप से हमे ग्लोबल वार्मिंग की और संकेत कर रहा है ? ग्लोबल वार्मिंग से बचने के लिए हमे क्या करना है, यह महत्वपुर्ण प्रश्न है ?

1 comment:

कामोद Kaamod said...

बढिया जानकारी..
आभार

क़ृपया शब्दों की बाधा को हटा दें तो टिपियाने में अच्छा होगा